वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने एक ऐसा टीका बना लिया है जो एड्स फैलानेवाले वायरस एचआईवी के ख़तरे को तीस प्रतिशत कम कर देगा.
थाईलैंड में अपनी इच्छा से आगे आए सोलह हज़ार लोगों पर इस टीके का परीक्षण किया गया है और इस पूरे कार्यक्रम के लिए पैसा अमरीकी सेना की तरफ़ से दिया गया.एड्स के क्षेत्र में काम करनेवाले कई जानकारों ने इसे एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया है.
पूरी दुनिया में तीन करोड़ तीस लाख लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं.
अबतक दवाओं से लोगों को कुछ राहत मिली है लेकिन पहली बार एक टीका बना है जो इसे रोक सके.
यहां तक पहुंचने में भी वैज्ञानिकों को सात साल लगे हैं.
वैसे तो इसकी शब्दावली काफ़ी जटिल है लेकिन आसान ज़ुबान में यही कहा जा सकता है कि ये टीका एचआईवी के संक्रमण के ख़तरे को कम करने में 31.2 प्रतिशत कारगर है.
थाईलैंड में हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा गया कि ये टीका पूरी तरह कारगर तो नहीं है लेकिन सही दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.
लैंसेट मेडिकल जरनल के संपादक डॉ रिचर्ड हर्टन कि इस टीके की खोज काफ़ी उत्साहजनक है और इससे कुछ शंकाओं के साथ ही सही लेकिन उम्मीद बढ़ती है.
इस टीके से दुनिया भर में चल रहे उन शोधों को भी मदद मिलेगी जहां कोशिशें चल रही हैं एक पूरी तरह से कारगर टीका बनाने की.
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